राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान

National Institute of Educational Planning and Administration

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शैक्षिक योजना विभाग

केन्द्रित से विकेन्द्रित नियोजन पर बल देने के साथ, विभाग का मुख्य प्रयास संस्था- विषयक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर योजना के इनपुट, प्रक्रियाओं और उत्पादों के समाकलन पर है। अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की शुरुआत के साथ, पारंपरिक अर्थों में विस्तृत योजना के बजाय रणनीतिक, सांकेतिक योजना पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके साथ ही विभाग प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, और इन क्षेत्रों में अनुसंधान के साथ विभिन्न निकायों को परामर्श भी प्रदान करता है।

प्रो. के. बिस्वाल ने जेएनयू, नई दिल्ली से शिक्षा के अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की है। उन्होंने आईआईईपी, पेरिस से शैक्षिक नियोजन में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वर्तमान में यह विभाग का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रभारी के रूप में, वह जनवरी 2017 से नीपा में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यू-डीआईएसई) और स्टूडेंट डेटाबेस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एसडीएमआईएस) का प्रबंधन कर रहे हैं। वह शिक्षा के अर्थशास्त्र, शैक्षिक विकेंद्रीकरण, रणनीतिक योजना के विशेषज्ञ हैं। डॉ. के. बिस्वाल प्रोजेक्ट प्लानिंग और स्थानीय स्तर की प्लानिंग तकनीक - यानी स्कूल मैपिंग, माइक्रो प्लानिंग और स्कूल इम्प्रूवमेंट प्लानिंग में भी दक्ष हैं। वह एसएसए, आरएमएसए और समग्र शिक्षा जैसे केंद्रीय क्षेत्र के प्रमुख कार्यक्रमों की कार्ययोजना और कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। वह आरएमएसए एंटाइटेल के तहत डीएसईपी को सूत्रबद्ध करने हेतु मैनुअल के सह-लेखक हैं, "माध्यमिक शिक्षा योजना और मूल्यांकन मैनुअल" जो कि पहली बार 2012 में प्रकाशित हुआ था। उन्हें पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ प्रमुख स्कूली शिक्षा विकास कार्यक्रमों के कार्याकारी ढांचे के विकास के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कई कार्य समूहों/उप-समूहों में काम करने का अवसर मिला। उन्हें पूर्व कैबिनेट सचिव, श्री टी.एस.आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित नई शिक्षा नीति 2016 के विकास के लिए बनाई गई समिति के सचिव के रूप में कार्य करने का अवसर भी मिला। उन्होंने पांच पुस्तकों का लेखन/सह-लेखन किया है और कई शोध पत्र और लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें ईएफए ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट के पृष्ठभूमि पत्र भी शामिल हैं। वह 2013 में यूनेस्को द्वारा प्रकाशित एशिया-प्रशांत क्षेत्र में “ एंड ऑफ़ डिकेड नोट्स ऑन एजुकेशन फॉर ऑल गोल 2” के प्रमुख लेखक भी हैं।

प्रो. पी. गीता रानी शैक्षिक योजना विभाग, नीपा, नई दिल्ली में प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने नीपा से प्रतिनियुक्ति पर तमिलनाडु, केंद्रीय विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफ़ेसर तथा प्रमुख के रूप में कार्य किया। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा गठित शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिए सर्वोच्च सलाहकार निकाय, केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) के तहत शिक्षा के अधिकार विधेयक पर वित्तीय ज्ञापन में योगदान दिया है। उन्होंने 13वें वित्त आयोग को सौंपे गए शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के राष्ट्रीय और राज्यवार अनुमानों के वित्तीय प्रभावों में भी योगदान दिया है। उन्होंने भारत में शिक्षा के अधिकार पर एक खंड का सह-संपादन किया है, जिसे रूटलेज, यूके द्वारा प्रकाशित किया गया है। उनकी मुख्य दक्षताओं में विकासात्मक अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र और शिक्षा के वित्त पोषण के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षण, प्रशिक्षण और परामर्श शामिल हैं। उनके साठ से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिकाओ में प्रकाशित हुए हैं। अधिक जानकारी...

डॉ. सांत्वना जी. मिश्रा शैक्षिक योजना विभाग, नीपा , नई दिल्ली में सह प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने भौतिकी विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की और उसके बाद शिक्षा से मास्टर डिग्री तथा पीएचडी प्राप्त किया । उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी में अध्ययन किया है। उनकी मुख्य दक्षताओं में अनुसंधान पद्धति, मात्रात्मक तकनीके और शैक्षिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण-प्रशिक्षण और परामर्श शामिल हैं। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपना शोध कार्य प्रस्तुत किया है और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अपने शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। डॉ. मिश्रा ने विभिन्न शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए कई देशों का दौरा किया है। वह नवीन शिक्षण-अधिगम विधियों के डिजाइन और परीक्षण में सक्रिय रूप से शामिल रहती हैं।

डॉ. एन. के मोहंती ने आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है। वह शैक्षिक योजना विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर हैं। वह शिक्षा के अर्थशास्त्र, विकेंद्रीकृत नियोजन शिक्षा, रणनीतिक योजना, जनशक्ति नियोजन, परियोजना नियोजन, मात्रात्मक तकनीकों और पूर्वानुमान विधियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने दो पुस्तकों का लेखन/सह-लेखन किया है और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में कई शोध लेख प्रकाशित किए हैं।

डॉ. सुमन नेगी ने सेंटर फॉर स्टडी ऑफ रीजनल डेवलपमेंट, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से जनसंख्या अध्ययन में पीएचडी प्राप्त की है। वह वर्तमान में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में शैक्षिक योजना विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. नेगी ने अपनी पीएचडी के दौरान शिक्षा तक पहुंच को प्रभावित करने वाले स्थानिक और सामाजिक-आर्थिक कारकों का अध्ययन किया। जनसंख्या अध्ययन में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद, वह वर्तमान में शैक्षिक आउट-माइग्रेशन परियोजना पर काम कर रही हैं। उनका शोध कार्य मुख्य रूप से शिक्षा और इससे संबंधित पहलुओं पर केंद्रित है। वह जेंडर पर एक एजुकेशन एटलस भी तैयार कर रहीं हैं। वह मुख्य रूप से शैक्षिक योजना के क्षेत्र में राज्य के शिक्षा विभागों के छात्रों और अधिकारियों के लिए शिक्षण और क्षमता निर्माण गतिविधियों में भी शामिल हैं। उनके कई शोध पत्र प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुके हैं।